Coronavirus Shayari on Lockdown Awareness-
प्रिय पाठकों कोरोना वायरस ने पूरी दुनियाँ में तबाही मचा हुयी है. हम यहाँ Coronavirus के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए Coronavirus Shayari का कलेक्शन Images के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं. जिसमें आपको कोरोनावायरस शायरी के साथ साथ Lockdown Shayari पर भी शेर और पिक्चर मिलेंगी.
कोरोनावायरस अथवा Covid-19 का इलाज केवल Social Distancing ही है. इस लिए लॉकडाउन का पालन करें. Stay Home Stay Safe का पालन करें और सुरक्षित रहें….
Coronavirus Shayari Images –
फैलेगा कोरोना तो आएंगे घर कई ज़द्द में,
तुम्हारी मनमानी की नोंक पर हिंदुस्तान थोड़ी है।
ज़मीन दूर है और आस पास कोई नहीं
मैं किससे से पूछूं के कितनी उड़ान बाकी है…
नज़र वाले को हिन्दू और मुस्लमान दिखता है,
मैं अँधा हूँ साहब, मुझे हर शख्स में इंसान दिखता है!!
बन्द हैं आशियानों में अमीर बड़े शौक़ से,
भटक रही है भूखे पेट मुफ़लिसी मेरे मुल्क़ की….
ठहरेंगे जाके घर में तो तुम्हें इत्त्तिला करेंगे,
मौत से कह दो.. अभी हम सफ़र मे हैं..
गुनाह पासपोर्ट का था,
दर बदर राशनकार्ड हो गए….
इस शहर में मज़दूर जैसा दर-बदर कोई नहीं,
जिसने सबके घर बनाए उसका कोई घर नहीं….
गुज़रे हैं जैसे वो लम्हें, ये भी जाएंगे गुज़र,
एक लम्हे में सिमट आया है सदियों का सफ़र….
दिल तो पहले ही जुदा थे यहाँ बस्ती वालो,
क्या क़यामत है कि अब हाथ मिलाने से गए….
– अज्ञात
यूं ही बे-सबब न फिरा करो
कोई शाम घर भी रहा करो
वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है
उसे चुपके-चुपके पढ़ा करोकोई हाथ भी न मिलाएगा
जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है
ज़रा फ़ासले से मिला करो
बोसा ना दे गले न लगा हाथ मत मिला
ए यार खुश जमाल मगर सामने तो आ
दो चार गज के फासले से मुस्कुरा कर देख
दो चार गज के फासले तक आकर लौट जा
या घर में बैठ और मुझे तस्वीर भेज दे
फसलें बबा में वसल का अंदाज है जुदा
खिड़की से झांक झांक के खुश हो रूह ए खुश
पट खोल देख देख कर कुछ देर मुस्कुरा
2 Line Coronavirus Shayari –
ये शहरों का सन्नाटा बता रहा है,
इँसान ने कुदरत को बहोत नाराज किया है..!!
मैं गरीब हूं साहब मुझे किसी का खौफ नहीं,
बाहर रहूंगा तो बीमारी मार देगी अंदर रहूंगा तो भूख….
पाथर पूजे हरि मिलें, तो मैं पूजूँ पहाड़,
थाली पीटे कोरोना भागे, तो मैं पीटू परांत….
मेरे ख़याल, मेरे ही दिल, मेरी नज़र में रहो,
ये सब तुम्हारे ही घर हैं, किसी भी घर में रहो….
तुम क्या जानो तन्हा कैसे जीते हैं,
दीवारों से सर टकराना पड़ता है….
#राहत इंदौरी
बने रहो कुटिया में,
नहीं तो नजर आओगे लुटिया में….
देहांत से एकांत अच्छा है जीवन को बचाएं,
कोरोना वायरस सत्य है असत्य बनाने के लिए घर पर ही रहे….
बड़े दौर गुज़रे हैं ज़िंदगी के,
यह दौर भी गुज़र जायेगा,
थाम लो अपने पांव को घरों में,
कोरोना भी थम जाएगा..!!
वफ़ा गर है हमसे तो अपने घर बैठिये जनाब,
इश्क में अब जमाना नही कोरोना आएगा….
मौत के ख़ौफ़ से सांसे भी छान कर लेने लगे,
कल तक जो कहते थे सांस लेने की भी फुर्सत नहीं….
कहीं भीड़ में खो गए थे हम,
एक वायरस हमें घर लौटा लाया….
जान है तो जहान है,
इसी बहाने घर में कुछ दिन आराम है….
Famous Shayar on Coronavirus –
शहर में किस से सुख़न रखिए किधर को चलिए,
इतनी तन्हाई तो घर में भी है घर को चलिए….
– नसीर तुराबी
यूँ ही बे-सबब न फिरा करो, कोई शाम घर में भी रहा करो,
वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है, उसे चुपके-चुपके पढ़ा करो….
– बशीर बद्र
मकाँ है क़ब्र जिसे लोग ख़ुद बनाते हैं,
मैं अपने घर में हूँ या मैं किसी मज़ार में हूँ….
– मुनीर नियाज़ी
वो नहीं है न सही तर्क-ए-तमन्ना न करो,
दिल अकेला है इसे और अकेला न करो….
– महमूद अयाज़
लगता है ‘क़ब्ले क़यामत’ का दौर हे यारों,
महफ़ूज रखो आशियाना अपना अपना….
– ओम इंदौरी (#क़ब्ल – पहले)
शहर के शहर बंद, हर गली में नाकाबंदी है,
तुम पता नहीं किस रस्ते चले आते हो ख़्यालों में….
जिसे नहीं रोक पायी दुनिया वो अब रुकेगा,
घर से बाहर निकला आदमी तो बहुत ठुकेगा….
– राज स्वामी (राजेश)
घर बैठकर जान बचा रहा हूँ अपनी,
ताकि उम्र भर तुम पर जान दे सकूँ….
भीड़ भाड़ वाला वो जहान कहाँ है?
हैरां हैं परिंदे, इंसान कहाँ है..??
पाबंदियाँ ज़रूर हैं मगर अपने घर में हैं,
कुछ उनके लिये करो जो पैदल सफ़र में हैं….
Lockdown Shayari –
वो बेचारा कब तलक बाहर न जाए,
भूख जिसके घर में दाखि़ल हो गई….
– राजेश रेड्डी
रेल रुक गयी, विमान रुक गए, रुक गया सारा जहान।
अब तु भी रुक जा रे इंसान।
अगर तू नही रुका तो सजा, भोगेगा सारा हिन्दुस्तान।
यूँ पुरखों की जमीन बेचकर ना जाया करो,
कब छोड़ना पड़ जाए शहर इसलिए गावं में भी घर बनाया करो….
गुज़रे हैं आज इश्क में हम कुछ ऐसे मुकाम से,
वो छोड़ गए हमको जरा से खांसी जुकाम से….
कहीं भीड़ में खो गए थे हम,
एक वायरस हमे घर लौटा लाया….
अर्श से टकरा गयीं सारे जहान पर छा गयीं।
मज़लूमों की आहे सारी दुनिया को खा गयीं।
शहर की औकात बस इतनी सी निकली,
जब बात बिगड़ी तो गाँव याद आया….
दर्द हल्का है साँस भारी है
जिए जाने की रस्म जारी है
– गुलज़ार
मेरे हिस्से की रोटी सीधी मुझे देदे ऐ खुदा,
तेरे बंदे तो बड़ा ज़लील कर के देते हैं….
4 Lines Coronavirus Shayari –
मुलाहिज़ा हो मिरी भी उड़ान पिंजरे में,
अता हुए हैं मुझे दो-जहान पिंजरे में….
ख़याल आया हमें भी ख़ुदा की रहमत का
सुनाई जब भी पड़ी है अज़ान पिंजरे में….
– अखिलेश तिवारी
अपनी तन्हाई को अपने सर लेते हैं,
चल घर में खुद को अकेला कर लेते हैं….
आजकल तेरी गली से गुजर नहीं पा रहे,
सोचा तेरी यादों से गुजर लेते हैं….
– Kumar Satendra
फकत जो फर्ज चाहे,
हर किसी की ऐसी जात नहीं
सुकून का जो निवाला ले,
जिंदगी में एसे दिन-रात नहीं ll
पाबन्दियाँ पाँवो पे हैं,
उड़ानों पर नहीँ….
आओ कि एक ख़्याल में,
बैठे-बैठे दुनिया घूमी जाये….
सुबह फिर है वही मातम दर ओ दीवार के साथ,
कितनी लाशें मेरे घर आएँगी अख़बार के साथ….
हैं गुनाह अपने ज़्यादा के ये कोरोनावाइरस,
तौल के देखें कभी किरदार के साथ….
– Rahat Indori
शहर ख़ामोश है,
सुनसान गलियां हैं।
हर तरफ मातम है,
ये किसकी आह ने अर्से इलाही को हिला दिया??