
ना जाने कैसा रिश्ता था,
टहनी से उस पंछी का….
उसके उड़ जाने पर,
वो कुछ देर काँपती रही….
Na Jane Kaisa Rishta Tha,
Tehni Se Us Panchhi Ka….
Uske Ud Jane Par,
Wo Kuchh Der Kanpti Rahi….
ना जाने कैसा रिश्ता था,
टहनी से उस पंछी का….
उसके उड़ जाने पर,
वो कुछ देर काँपती रही….
Na Jane Kaisa Rishta Tha,
Tehni Se Us Panchhi Ka….
Uske Ud Jane Par,
Wo Kuchh Der Kanpti Rahi….
रूह से जुड़े रिश्ते पर फरिश्तो के पहरे होते हैं,
कोशिश कर लो तोड़ने की और ये गहरे होते हैं….
Rooh Se Jude Rishte Par Farishton Ke Pehre Hote Hain,
Kaushish Kar Lo Todne Ki Aur Ye Gehre Hote Hain….
हज़ार तोड़ के आ जाऊँ उस से रिश्ता वसीममैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा– वसीम बरेलवी