मैं चाहता हूँ वह मेरे जबीं पे बोसा दे,
मगर जली हुई रोटी को कौन घी लगाता है….
Mein Chahta Hun Vah Mere Zabin Pe Bosa De,
Magar Jali Huyi Roti Ko Kaun Ghi Lagata Hai….
मैं चाहता हूँ वह मेरे जबीं पे बोसा दे,
मगर जली हुई रोटी को कौन घी लगाता है….
Mein Chahta Hun Vah Mere Zabin Pe Bosa De,
Magar Jali Huyi Roti Ko Kaun Ghi Lagata Hai….
मैं कई दफा चूल्हे के आगे से भूखा उठा हूँ,
ऐ रोटी अपना पता बता मुझे, जहाँ तू बर्बाद होती है….
Main Kai Dafa Chulhe Ke Aage Se Bhukha Utha Hun,
Ain Roti Apna Pata Bata Mujhe, Jahan Tu Barbad Hoti Hai….
रोटी को ढूंढता कूड़े के ढेर पर,
देखा है मैंने एक चाँद का टुकड़ा ज़मीन पर….
Roti Ko Dhundta Kude Ke Dher Par,
Dekha Hai Maine Ek Chand Ka Tukda Zameen Par….