Lohri Poem By Dr Roopchandra Shastri Mayank in Hindi

Lohri Poem By Dr Roopchandra Shastri ‘Mayank’

Lohri Poem:-

Lohri Poem By Dr Roopchandra Shastri Mayank in Hindi
Lohri Poem

फिर से नूतन हर्ष

लेकर आयी लोहड़ी, फिर से नूतन हर्ष।
करते हैं सब कामना, मंगलमय हो वर्ष।।

शीतल-शीतल रात है, शीतल-शीतल भोर।
उत्सव का माहौल है, पसरा चारों ओर।।

खुश हो करके लोहड़ी, मना रहे हैं लोग।
ज्वाला में मिष्ठान्न का, लगा रहे हैं भोग।।

मन को बहुत लुभा रहे, त्योहारों के रंग।
रंग-बिरंगी गगन में, उड़ने लगीं पतंग।।

उत्तरायणी आ रही, देने अब सौगात।
घाट जायेगा देश में, सर्दी का अनुपात।।

मकर राशि में दिवाकर, आने को तैयार।
वासन्ती परिवेश के, खुल जायेंगे द्वार।।

आहट देख बसन्त की, कुहरा हुआ अपांग।
फूली सरसों देखकर, मन में उठी उमंग।।

भँवरे गुनगुन कर रहे, तितली करती नृत्य।
ख़ुश होकर सब कर रहे, अपने-अपने कृत्य।।

– डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

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