Ai waaiz-e-naadan karta hai tu ek qayamat ka charcha
Yahan roz nigaahein milti hain yahan roz qayamat hoti hai
Saba Afghani
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ऐ वाइज़-ए-नादां करता है तू एक क़यामत का चर्चा,
यहाँ रोज़ निगाहें मिलती हैं यहाँ रोज़ क़यामत होती है
सबा अफ़्ग़ानी