ruh ko ruh se milne nahin deta hai badan
khair ye beech ki deevaar giraa chahti hai
Irfan Siddiqi
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रूह को रूह से मिलने नहीं देता है बदन
ख़ैर ये बीच की दीवार गिरा चाहती है
इरफ़ान सिद्दीकी
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रूह को रूह से मिलने नहीं देता है बदन
ख़ैर ये बीच की दीवार गिरा चाहती है