
छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है
– असरार-उल-हक़ मजाज़
Chhup Gaye Wo Saz-e-Hasti Chhed Kar,
Ab To Bas Awaz Hi Awaz Hai….
– Asrarul Haq Majaz
छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है
– असरार-उल-हक़ मजाज़
Chhup Gaye Wo Saz-e-Hasti Chhed Kar,
Ab To Bas Awaz Hi Awaz Hai….
– Asrarul Haq Majaz
एक Aligarian होने के नाते जो प्यार और तहज़ीब मैंने Aligarh Muslim University से पाई है वो रह रहकर दिल में उमंगें भारती रहती है। AMU की बहुत सी रोमांचित कर देने वाली चीज़ों में से एक- तराना-ए-ए.एम.यू. / AMU Tarana यहाँ Lyrics और Mp3 दोनों में दिया जा रहा है, उम्मीद है ये आपको बहुत पसंद आएगा।
ये तराना अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के ही एक मशहूर पूर्व छात्र ( Old Boy ) जनाब असरार-उल-हक़ मजाज़ ( Majaz Lakhnavi) साहब की लिखी हुयी एक नज़्म ” नज़रे अलीगढ़ ” की कुछ पंक्तियों को लेकर बनाया गया है। ये Majaz Shayari का एक बहुत ही बेहतरीन नमूना है। ये अमुवि के हर मुख्य समारोह में आर्केस्ट्रा की धुनों पर हजारों छात्रों द्वारा कोरस में गाया जाता है।