‘Fasla Qayam Rakho….’ Ghazal on Coronavirus Awareness in Hindi by Prof. Nasir Naqvi –
सारी दुनियाँ में वबा है, फासला क़ायम रखो
हर कोई सहमा हुआ है, फासला क़ायम रखो
शहरों शहरों दहर में इक कहर है पसरा हुआ
तरक-ए-दुनियाँ ही दवा है, फासला क़ायम रखो
भीड़ में साँसों का लेना पुरखतर है आजकल
ये गुनाहों कि सजा है, फासला क़ायम रखो
अपने घर की चार दिवारी में रक्खो खुद को क़ैद
हर तरफ ख़तरा खड़ा है, फासला क़ायम रखो
वो किसाफत है, नहीं है दूर तक जिसका इलाज
सिर्फ तन्हाई शिफ़ा है, फासला क़ायम रखो
ये मदद का वक़्त है, अपनी मदद करते रहो
हुक्म सरकारी हुआ है, फासला क़ायम रखो
मज़हब व मिल्लत के सारे फसलों को तोड़ कर
सबसे नासिर इल्तजा है, फासला क़ायम रखो
– प्रोफेसर नासिर नक़वी
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